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अखबार मुस्कुरा रहा था, लोकतंत्र घबड़ा रहा था

साजी, जांबाजी और अब अंदाजी ने छोड़ा साथ

बिल्‍ली शेर को खा गई, वो बदकिस्‍मती को भा गई

लेखकों को बदलनी होगी 'लेखनी'

असमय ही वह बन गया 'छोटू'