दर्द जमाने का सीने में दबाये बैठे हैं
नीरज रोशनी से हाथ जलाये बैठे हैं
अबकि बरसात में जी भरकर रोउंगा
कितने ही पन्नों को दर्द सुनाये बैठे हैं
दर्द यह नहीं कि मिला दर्द ज्यादा है
कई अजीज दोस्त कफन सजाये बैठे हैं
हर पल तकदीर को हार ही मिली है
फिर भी मंजिल की आस लगाये बैठे हैं
जिनके आंखों का कभी तारा होते थे हम
वही हमें आज जनमों से भुलाये बैठे हैं
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कभी-कभी मन भर सा जाता है।
नीरज रोशनी से हाथ जलाये बैठे हैं
अबकि बरसात में जी भरकर रोउंगा
कितने ही पन्नों को दर्द सुनाये बैठे हैं
दर्द यह नहीं कि मिला दर्द ज्यादा है
कई अजीज दोस्त कफन सजाये बैठे हैं
हर पल तकदीर को हार ही मिली है
फिर भी मंजिल की आस लगाये बैठे हैं
जिनके आंखों का कभी तारा होते थे हम
वही हमें आज जनमों से भुलाये बैठे हैं
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कभी-कभी मन भर सा जाता है।
Comments
फिर भी उम्मीद लागए बैठे हैँ
क्या करेँ जिन्दगी जीने का यही अन्दाज पसंद आया हमे, इसी लिऐ तो उनकी तस्वीर सीने से लगाऐ बैठे हैँ
etips-blog.blogspot.com
दर्द जमाने का सीने में दबाये बैठे हैं
नीरज रोशनी से हाथ जलाये बैठे हैं
अबकि बरसात में जी भरकर रोउंगा
कितने ही पन्नों को दर्द सुनाये बैठे हैं
भई वाह वाह....
aap ke dard ka raz yaha he
ना दिखा सकता ये दर्द- ए- दिल किसी को |
ना सुना सकता ये गमे दास्ताँ किसी को ||
है आखरी गुजारिश, ऐ मेरे खुदा तुझसे |
ना चाहूँ जहाँ में इस कदर फिर किसी को ||
hamare blog par bhi aap ka swagat he
वही हमें आज जनमों से भुलाये बैठे हैं badhiya bahut sundar
वही हमें आज जनमों से भुलाये बैठे हैं
...bahut sundar ... adabhut bhaav ... behad prasanshaneey, bahut bahut badhaai !!!!
क्योंकि ज्यादातर लोग प्रेम में धोखा खाने के बाद ही गालिब की पीढी में शामिल होते हैं।
लिखते रहो।
उफ इस नज्म ने मुझे मार डाला
सुरेंद्र कुमार वर्मा
क्योंकि ज्यादातर लोग प्रेम में धोखा खाने के बाद ही गालिब की पीढी में शामिल होते हैं।
लिखते रहो।
उफ इस नज्म ने मुझे मार डाला
सुरेंद्र कुमार वर्मा