दोस्‍त कफन सजाये बैठे हैं

दर्द जमाने का सीने में दबाये बैठे हैं
नीरज रोशनी से हाथ जलाये बैठे हैं
अबकि बरसात में जी भरकर रोउंगा
कितने ही पन्‍नों को दर्द सुनाये बैठे हैं
दर्द यह नहीं कि मिला दर्द ज्‍यादा है
कई अजीज दोस्‍त कफन सजाये बैठे हैं
हर पल तकदीर को हार ही मिली है
फिर भी मंजिल की आस लगाये बैठे हैं
जिनके आंखों का कभी तारा होते थे हम
वही हमें आज जनमों से भुलाये बैठे हैं

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कभी-कभी मन भर सा जाता है।

Comments

Anonymous said…
हर पल तकदीर को हार हि मिली है
फिर भी उम्मीद लागए बैठे हैँ
क्या करेँ जिन्दगी जीने का यही अन्दाज पसंद आया हमे, इसी लिऐ तो उनकी तस्वीर सीने से लगाऐ बैठे हैँ
etips-blog.blogspot.com
Dev K Jha said…
गुरु, क्या मस्त लिखा है भाई....

दर्द जमाने का सीने में दबाये बैठे हैं
नीरज रोशनी से हाथ जलाये बैठे हैं
अबकि बरसात में जी भरकर रोउंगा
कितने ही पन्‍नों को दर्द सुनाये बैठे हैं

भई वाह वाह....
nilesh mathur said…
बहुत सुन्दर रचना!
बहुत बढिया रचना है।बधाई।
Udan Tashtari said…
बेहतरीन रचना!
Shekhar Kumawat said…
http://kavyawani.blogspot.com/


aap ke dard ka raz yaha he

ना दिखा सकता ये दर्द- ए- दिल किसी को |
ना सुना सकता ये गमे दास्ताँ किसी को ||

है आखरी गुजारिश, ऐ मेरे खुदा तुझसे |
ना चाहूँ जहाँ में इस कदर फिर किसी को ||


hamare blog par bhi aap ka swagat he
दिलीप said…
जिनके आंखों का कभी तारा होते थे हम
वही हमें आज जनमों से भुलाये बैठे हैं badhiya bahut sundar
Dhiraj Tiwari said…
YE KAUN SA DARD HAI JO BANT NAHI SAKTE JABKI TUMHARE INTJAR ME PALKE BICHHAYE BAITHE HAI.
जिनके आंखों का कभी तारा होते थे हम
वही हमें आज जनमों से भुलाये बैठे हैं
...bahut sundar ... adabhut bhaav ... behad prasanshaneey, bahut bahut badhaai !!!!
vermaji said…
ओह, कितना दर्द है इस अभिव्‍यक्ति में। मैं जार जार हो गया। दर्द का इससे बेहतरीन विवरण आज तक मैंने नहीं सुना। तुम कौन हो भाई और किस दोस्‍त ने दर्द दिया है। कहीं वह कोई लडकी तो नहीं
क्‍योंकि ज्‍यादातर लोग प्रेम में धोखा खाने के बाद ही गालिब की पीढी में शामिल होते हैं।
लिखते रहो।
उफ इस नज्‍म ने मुझे मार डाला
सुरेंद्र कुमार वर्मा
vermaji said…
ओह, कितना दर्द है इस अभिव्‍यक्ति में। मैं जार जार हो गया। दर्द का इससे बेहतरीन विवरण आज तक मैंने नहीं सुना। तुम कौन हो भाई और किस दोस्‍त ने दर्द दिया है। कहीं वह कोई लडकी तो नहीं
क्‍योंकि ज्‍यादातर लोग प्रेम में धोखा खाने के बाद ही गालिब की पीढी में शामिल होते हैं।
लिखते रहो।
उफ इस नज्‍म ने मुझे मार डाला
सुरेंद्र कुमार वर्मा