बदलते वक्त की आवाज हो तुम
जो खामोशी में गूंजे वो साज हो तुम
किस बवंडर में जा उलझे हो यार
सच बताओ क्यों आज उदास हो तुम
कभी तुमने भरोसा न किया हम पर
फिर भी मेरे लिए लाजवाब हो तुम
कि सुबह की तलाश में जागा हूं रातभर
कि गुनगुनी शबनम सा एहसास हो तुम।
_______________________
---------------------------------
जो खामोशी में गूंजे वो साज हो तुम
किस बवंडर में जा उलझे हो यार
सच बताओ क्यों आज उदास हो तुम
कभी तुमने भरोसा न किया हम पर
फिर भी मेरे लिए लाजवाब हो तुम
कि सुबह की तलाश में जागा हूं रातभर
कि गुनगुनी शबनम सा एहसास हो तुम।
_______________________
---------------------------------
Comments