कांग्रेस और उनका गांधीप्रेम...


कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी खराबी यही है कि वह कभी भी पारिवारिक ग़ुलामी को नकारती नहीं है. इंदिराजी की हत्या के बाद प्रणब मुखर्जी को यदि प्रधानमंत्री पद पर बैठाते तो देश की दिशा कुछ और होती. लेकिन, उस समय भी दिल्ली के एम्स की गलियारे में इंदिरा के निजी सचिव एलेक्जेंडर ने अरुण नेहरू की बात का समर्थन किया और देश को राजीवजी के हाथों सौंप दिया. ऐसे अनेकों किस्से हैं...जो जानने योग्य हैं.
गांधी परिवार के हर सदस्य ने खुद को भारत का मालिक़ समझा है. मसलन, इंदिराजी ने इमरजेंसी लगाई और उस समय मंत्रालयों में आदेश जारी करते थे उनके 28 वर्षीय सुपुत्र संजय गांधी. जिस नेता का अंदाज़ थोड़ा तल्ख होता तो संजय उसे दरकिनार कर देते. ऐसा उस समय भी हुआ था, जब तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंद्रकुमार गुजराल ने संजय को दो टूक जवाब देते हुए कहा था, मैं आपके सवालों का जवाब देने को बाध्य नहीं हूं. दरअसल, संजय ने तब गुजरालजी के माध्यम से अखबारों और पत्रिकाओं में छपने वाली खबरों पर नकेल कसने की योजना बनाई थी. नतीजा वही हुआ, गुजरालजी से उनका विभाग ले लिया गया था. संजय ने अपनी जिद में 12 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक की नसबंदी करवा दी थी. हक़ीक़त, तो यही है कि ऐसा फैसला लेने की हिम्मत इन गांधियों को इसलिए आ जाती है क्योंकि इन्होंने बिना संघर्ष किए ही सत्ता के गलियारे में आइस-पाइस खेला है.
यही नहीं, पंजाब सरकार के सामने अपनी मजबूती दिखाने के लिए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भिंडरेवाला को बैठा दिया. इतना सपोर्ट दिया संजय की टीम ने कि वह पवित्र धार्मिक स्थल में बैठकर उसके आंगन में ही लाशें गिरवाता था. ऐसा रहा है ये गांधी परिवार.
वहीं, राजीवजी की सोच बहुत अलग थी लेकिन माता जी की हत्या के बाद कम मेहनत किये ही प्रधानमंत्री बनने वाले उन नेता ने देशभर में सिखों की हत्या होने दी. तत्कालीन, राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जब उन्हें धर्म का पाठ पढ़ाने लगे तो उनके ऑफिस में फरियादियों के पहुंचने वाले फोन ही बंद करा दिए गए. फिर भी देश ने गांधियों को सिरमौर बनाया.
राजीवजी के बाद सोनिया का नम्बर आया, उन्होंने स्टाम्प सरीखे मनमोहनजी को देश का पहरुआ बना दिया. शरीफ इंसान को आगे करके अपना भला किया. जब लगा कि प्रणब मुखर्जी ज्यादा क़ाबिल हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति बनाकर देश की राजनीति से ही रिटायर कर दिया. यानी, समय का चक्र कोई भी हो लेकिन सत्ता की धूरी गांधियों के आंगन में ही हो.
देश से प्रेम करो देशवासियों, कांग्रेसियों ने आज तक खुद को एक परिवार के चक्र से नहीं निकाला, वो देश को गर्त से क्या निकालेंगे. और यहां ये कहना भी लाज़िमी है कि भाजपा में सब दूध के धुले नहीं हैं, फिर भी ये इन 'हाथ' की सफाई वालों से बेहतर हैं...और जब लगे कि कमलवासियों ने भी चोरी ज्यादा कर ली है तो देशहित को देखते हुए तुरन्त नया नेता चुन लो. लेकिन, कांग्रेस में फिलहाल कोई क़ाबिल नज़र नहीं आता है...प्रियंका सिर्फ सत्ता को सिरमौर बनाने आईं हैं, कोई देशसेवा करने नहीं....

#लिखने_की_बीमारी_है।।।।।

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