तुम एक बार कह देते तो क्या हो जाता?
जो भी होता चुप रहने से बेहतर होता
कम से कम मन में प्रश्न न होते
क्या चिड़ियों के चहकने से होता है सूर्योदय?
नहीं, सुबह तो होनी ही है
चिड़िया तो चहकती है स्वयं की चेतना जागृत करने के लिए
इसीलिए वह सबकी है चहेती
उसे मिलता है दाना-पानी सबके जगने से पहले
वैसी ही चेतना तुममें क्यों न जगी?
तुम एक बार कह देते तो क्या हो जाता?
जो कह देते तो मन में कोई मलाल न होता
क्या कोई किसान बिना बीज बोये फसल पाता है?
जो सोचता रहता तो क्या अनाज का इक दाना भी उगा सकता?
उसे मौसम को देख जगना होता है
कड़ी धूप में तपना होता है
खेत की मेंढ़ पर बैठकर बुनना होता है ख्वाब
ज़ब सो रहे होते हैं सभी अपने घरों में भरपेट खाकर
तब उगता है अनाज जिससे भर जाता है आँगन
उस किसान की तरह मुझे खेत समझ
तुम मेरे पास आये क्यों नहीं?
तुम एक बार कह देते तो क्या हो जाता?
कम से कम मुझे कोस तो न रहे होते
मन ही मन अफ़सोस तो न कर रहे होते
संशय भरे सवालों से क्यों भर लिया है मन?
खुद ही प्रश्न जन्माये और उत्तर भी सहेज लिए
एक बार मुझसे कहते तो सही
शायद मैं समाधान देता
तुझे मनचाहा सम्मान देता
या मैं सवालों पर चुप हो जाता तो तुम्हारे पास होता इक जवाब
कि यह मंजिल अब पड़ाव है
मनचाहा पाने के लिए तुम्हें बढ़ना होगा इस जहां से आगे
तुम एक बार कह देते तो क्या हो जाता?
अब भी देर नहीं हुई
चुप न रहो, आओ और बताओ मुझे क्या कहना चाहते हो
तुम खुश थे, मुस्कुरा रहे थे तो मैं यही समझ बैठा संतुष्ट हो तुम
इसीलिए मैंने कर ली है पीठ तुम्हारी ओर
जो अब चुभ रही है तुम्हें
तुम एक बार कह देते तो क्या हो जाता?
तुम एक बार कह देते तो क्या हो जाता?
तुम एक बार कह देते तो क्या हो जाता?
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