मुझे ऐसा कुछ जीवन दे दो

स्‍वार्थविहीन का भाव रहे
दूजों के दुख का घाव रहे
धर्म के पथ पर पांव रहे 
शहरी मन में गांव रहे
मुझे ऐसा कुछ जीवन दे दो।

जन-जन का मान करूं 
शत्रु का भी सम्‍मान करूं 
कर्ण की तरह मैं दान करूं 
सदाचार का गान करूं
मुझे ऐसा कुछ जीवन दे दो।

मन पर मर्यादा का हो लेप 
कांटें पर पग पड़ते ही जाऊं झेंप 
मलमल सा सुख दे मेरा खेत
स्‍वजनों के साथ का पाऊं भेंट 
मुझे ऐसा कुछ जीवन दे दो।

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