हमारे महापुरुषों को किसके सम्‍पर्क में आने से मिला ज्ञान? Part 3


हमारे बीच का एक इंसान बचपन से ही कुछ अलग होता है. जवानी की दहलीज पर आते ही अचानक वह एकांतवासी हो जाता है. कुछ समय के बाद जब वह दोबारा समाज के सम्‍पर्क में आता है तो वह 'महापुरुष' हो जाता है. क्‍या उन्‍हें भी किसी एलियन ने राह दिखाई होती है? इस सूची में हर धर्म की कई नामी हस्‍तियां दर्ज हैं. मगर यहां हम चंद ज्ञानियों के उदाहरण से ही इस गुत्‍थी को समझने का प्रयास करते हैं.

एनशिएंट एलियन और हम धरतीवासियों के सम्‍बंधों की पड़ताल करती इस सीरीज की तीसरी रिपोर्ट में आज हम चर्चा करेंगे हमारे महापुरुषों की. दरअसल, अक्‍सर ही ऐसा पाया गया है कि हमारे बीच रहने वाला एक शख्‍स अचानक ही ज्ञान पाकर 'महापुरुष' की श्रेणी में आ जाता है. अमूमन यही देखा गया है कि ऐसे विलक्षण प्रतिभा वाले बचपन से ही कुछ अलग होते हैं. वे ध्‍यान लगाते हैं. स्‍वयं में गुम रहते हैं. उन्‍हें दुनियावी बातों से कोई लेना-देना नहीं होता है. इस विशेष लक्षण के साथ ही वे बड़े होने लगते हैं. मगर साधारण वह सांसारिक तथ्‍यों से दूर रहते हैं. वह समाज कल्‍याण की भावना रखते हैं. इसी सोच में वे बड़े होते जाते हैं. सभी में एक बात और कॉमन देखी गई है कि वे अचानक ही कहीं गायब हो जाते हैं. एकांतवास में रहने लगते हैं. कोई जंगल चला जाता है तो कोई पहाड़ी गुफा में. मगर जब वे समाज में वापिस लौटते हैं तो वे अचानक ही महाज्ञानी हो जाते हैं. वे वैसे नहीं रहते जैसे हम-आप हैं. यानी वे साधारण जन नहीं रहते, 'महापुरुष' की संज्ञा में आ जाते हैं. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमि है कि क्‍या वे किसी परग्रही के सम्‍पर्क में आकर इन विलक्षण प्रतिभाओं के स्‍वामी बन जाते हैं.

यीशु मसीह

यह आपके धार्मिक विचारों पर निर्भर करता है कि आप जीजस क्राइस्‍ट को एक साधारण इंसान मानते हैं या परमपिता परमेश्‍वर की संतान. क्‍योंकर, यीशुु भी एक समय तक साधारण चरवाहे के सिवाय कुछ नहीं थे. हालांकि, उनके बारे में यह जिक्र लिखा गया है कि बचपन में ही वे अपने माता-पिता और दोस्‍तों के साथ रहने के बजाय धार्मिक गुरुओं से चर्चा करना ज्‍यादा पसंद करते थे. यहां पर एक अंतरराष्‍ट्रीय आध्‍यात्‍मिक संगठन का जिक्र करना जरूरी है जिसका नाम The Aetherius Society है. इस संगठन का दावा है कि जीजस वास्‍तविकता में तो थे लेकिन बाइबिल में उनके बारे में जो बखान किया गया है वह गलत है. इस सोसाइटी के सदस्‍यों का कहना है कि जीजस पृथ्‍वी ग्रह के नहीं थे.

इस संगठन की नींव जॉर्ज किंग ने वर्ष 1955 के मध्‍य में रखी थी. उन्‍होंने अपनी सोसाइटी के निर्माण के समय ही इस बात का दावा किया था कि वे एक परग्रही (Alien) से मुलाकात कर चुके हैं जिसका नाम 'एथेरियस' था. इस सोसाइटी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इस बात का दावा किया है कि एलियन के रूप में उन्‍हें 'जीजस' ने ज्ञान दिया था. वेबसाइट पर इस मुलाक़ात के बारे में दी गई जानकारी में लिखा गया है कि 'होल्‍स्‍टोन डाउन' नाम की एक ऊंची पहाड़ी पर उनकी जीजस से मुलाक़ात हुई थी. बकौल जॉर्ज किंग, 'अचानक ही मैंने आसमान से आती हुई एक अजीब सी चीज देखी. मैंने देखा कि एक जानी पहचानी सूरत का इंसान मेरी ओर चला आ रहा है. वह काफी लंबा था. उसने लंबा सा लबादे सरीखा कपड़ा पहन रखा था. उसके भूरे रंग के लंबे बाल थे. उसके चारों ओर बहुत रोशनी थी. हालांकि, उन्‍होंने मुझे अपना सम्‍पूर्ण परिचय नहीं दिया लेकिन मैं बखूबी जान गया था कि वे जीजस ही थे. वे शुक्र ग्रह से आए थे.'
हालांकि, किंग जॉर्ज और जीजस की इस मुलाक़ात का कोई सुबूत नहीं है. यह सिर्फ आस्‍था का विषय है. इनके इस दावे पर अब भी शोध किया जा रहा है. मगर यह सवाल पूछना लाजिमि है कि आखिर जीजस को सांसारिक ज्ञान से इतर दूसरी दुनिया के बारे में ज्ञान कैसे मिला था?

लियोनार्डो द विंसी

एक जीवन जो किसी पहेली से कम नहीं है. उनका नाम है लियोनार्डो द विंसी. उनकी बनाई तस्‍वीरें आज भी इतिहास के अनेक रहस्‍यों को समेटे हुए है.
यूं तो आज के समय में जीनियस शब्‍द का इस्‍तेमाल पॉप स्‍टार्स, स्‍टैंडअप कॉमेडियन आदि के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है. मगर 'जीनियस' शब्‍द का वाजिब प्रयोग लियोनार्डो जैसी हस्‍ती के लिए करना ज्‍यादा उचित है. उनकी बनाई तस्‍वीरों में 'मोनालिसा' व 'द लास्‍ट सपर' आदि प्रमुख हैं. इन तस्‍वीरों का रहस्‍य तलाशना आज भी दाशर्निकों के लिए एक अबूझ पहेली के समान है.
लियोनार्डो के जीवन पर रिसर्च करने वालों का यह भी दावा है कि वे किसी दूसरी दुनिया के सम्‍पर्क में रहते थे. यही कारण है कि उनकी बनाई तस्‍वीरों को यदि शीशे में देखा जाए तो किसी एलियन का चेहरा नजर आता है. उनकी कमोबेश हर तस्‍वीर में एलियन की परछाईं नजर आती ही है. यहां यह चौकाने वाली बात है कि उन्‍होंने अपने जीवन की सबसे रोचक तस्‍वीर का निर्माण तब किया था जब वे करीब दो वर्ष तक अज्ञातवास में रहे थे. इस अज्ञातवास को पूरा करने के बाद उन्‍होंने अपने जीवन की सबसे अहम रचनाएं की हैं. यहां पर इतिहासकारों का दावा है कि वे इस दौरान किसी गुफा में एक परजीवी के साथ सम्‍पर्क में रहते थे. दावा करने वालों ने तक तो यह भी लिखा है कि उसी परग्रही ने उनको ऐसी विलक्षण प्रतिभा दी थी जिससे वे ऐसी रचनाएं कर सके जो आज भी रहस्‍यों का पिटारा है.

'जीनियस' लोगों की इस कड़ी में हम आगे भी कई नामी हस्‍तियों की जिंदगी के बारे में जानेंगे...

To Be Continued... 



Comments

अद्भुत,अकल्पनीय,अविश्वशनिय।।।।