...तो क्‍या हम सब एलियन की संतान हैं? Part 1


हम सभी बरसों से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं कि हम जैविक विकास की देन हैं लेकिन इस सत्‍य को नकारा नहीं जा सकता कि हम एलियंस (परग्रहियों) की संतान भी हो सकते हैं.

वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग धरती पर आने वाले एलियंस आदि की खोज कर रहा है. वे मानते हैं कि आज भी हमारी पृथ्‍वी पर दूसरे ग्रह के वासियों का आना-जाना बरकरार है. यही कारण है कि समय-समय पर हमें Unidentified Flying Object (UFO) या आसान भाषा में कहें तो परग्रहियों की उड़नतस्‍तरी दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में दिखाई देती है. हालांकि, अब तक इसका कोई पुख्‍ता प्रमाण नहीं मिल सका है. फिर इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि हम ब्रह्माण्‍ड में रहने वाले अकेले ग्रहवासी नहीं हैं. इसकी पूरी संभावना है कि तारामंडल में कई ऐसे भी ग्रह होंगे जहां दूसरे जीव भी जी रहे होंगे. 

वैज्ञानिकों का एक बड़ा वर्ग इन बातों पर रिसर्च कर रहा है कि तारामंडल में पृथ्‍वी के अतिरिक्‍त भी ऐसे कई ग्रह होंगे जो जीवन देने योग्‍य होंगे. यूं तो किताबों में मानव जीवन के विकास की जटिलताओं को समझाने के लिए डार्विन सरीखे कई विद्वानों की थ्‍योरी है. यहां पर हर धर्म के अनुयायियों का मत भी सुनने योग्‍य है कि उनके धर्मानुसार दुनिया के निर्माण की कथा अलग-अलग है. 
We are made of stardust, our whole body consists of material that has been here before the beginning of time.
                                                                                                                        ― Giorgio A. Tsoukalos
ऐसे में यदि हर धर्म के आधार पर दुनिया के विकास के बारे में गंभीरता के विचार करें तो महसूस होता है कि हर धर्म के देवी-देवता आसमान से आए थे. वे हर तरह का करिश्‍मा करने में माहिर थे. उनके पास आकाश में यात्रा कराने वाला रथ होता था. वे पलक झपकते ही एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर पहुंंच जाते थे. संतानोत्‍पत्‍ति के लिए उन्‍हें संसर्ग की आवश्‍यकता भी नहीं पड़ती थी. वे सिर्फ अपनी छुअन मात्र से ही गर्भ धारण कराने में माहिर थे. यहां तक कि वे किसी मृत शरीर में भी प्राण फूंकने में माहिर हुआ करते थे. ऐसी कई दंतकथाएं हर धर्म की धार्मिक पुस्‍तकों में मौजूद हैं. 

उपरोक्‍त तथ्‍यों को यदि अब यह मानकर समझा जाए कि वे भगवान न होकर किसी दूसरे ग्रह से आए हुए यात्री थे जिन्‍होंने संघर्ष करती हमारी पीढ़ियों को देखकर उनके विकास के लिए अपने विकसित हो चुके विज्ञान का सहारा लेकर आज के मानव का निर्माण किया है. ऐसा करके ही उन्‍हाेंने हमें उन्‍नत दिमाग दिया है. वे ही हमारे कृषि विज्ञान के जन्‍मदाता हैं. उन्‍होंने ही हमें समाज में समसरता से रहने का गुर सिखाया है. यदि ऐसा न होता तो क्‍या हम बंदर से इंसान बनने के सफर में इतने बुद्धिमान हो सकते थे. 


To Be Continued...


Comments

Unknown said…
हमारे वेद आदि इतने शसक्त माध्यम हैं कि सम्पूर्ण सृष्टि के संचालन को प्रभावित ही नहीं करते वरन, उसके नियंत्रण में भी अपनी भूमिका निभाते हैं। मानव इतिहास अत्यंत प्राचीन है, और देवताओं के साथ भी उनके संबंध को कई प्रकार से सहसंबंध के रूप में दिखाया गया है। प्राचीन समय में वाहन की समझ के विषय में यह बताया गया कि वह मंत्र आदि कि साधना से संचालित होते थे। वैमानिकी पुराण इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। इस पुराण को हमारे भारद्वाज मुनि ने लिखा और संचालित भी किया है। श्री राम चन्द्र जी के पुष्पक विमान को हमारे भारद्वाज मुनि ने ही सुशोभित किया है। क्रमशः