अलविदा


कोपलों में अब भी कुछ हसरतें ले रही हैं करवटें 
नींद में भी गिनते रहे मखमली चादर की सिलवटें 
दोस्‍ती कुछ ऐसी हुई उनसे दुश्‍मनी के साथ-साथ
चार कदम चलकर वो खो गए घर जाती मोड़ पर
अब कुछ तो अहसास उनको भी हुआ ही होगा
वरना कोई यूं ही अलविदा कहकर रोता नहीं... 

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