मुझे आता है ऐसे ही जीना...


मेहनतकश हाथों पर बहता ठंडा पसीना 
फूलती सांसें औ पसीने से महकता सीना 
लड़खड़ातीं कोशिशों से मुश्‍किल है जीना 
राह रोकतीं मुसीबतें पर मंजिल बुला रही
सपनों को आवाज देकर मुझको जगा रही 
कुछ क़दम चलकर सुस्‍ताता हूं, मुस्‍काता हूं
यूं बढ़ती थकान के बीच हौसला बढ़ाता हूं 
मैं वो मजदूर हूं, जो हार स्‍वीकारे कभी ना 
मेहनतकश हाथों पर जब बहता है पसीना 
फूलती हैं सांसें और महक उठता है सीना
दो जून की सूखी रोटी और ढेर सारा सुकून 
गरीबी ने मुझे सिखा दिया है ऐसे ही जीना
मैंने शिकस्‍त को भी स्‍वीकारा कभी ना 
मुझे आता है ऐसे ही जीना... 
मुझे आता है ऐसे ही जीना...

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