नक्‍सलियों से नहीं कश्‍मीर के पत्‍थरबाजों से होती है नफरत : भारतीय जवान

भारतीय सेना पर पत्‍थर बरसाती कश्‍मीरी छात्राएं. (साभार: गूगल इमेज)
दोस्त अगर फौजी हो तो एक घंटा भी साथ में गुजारने पर दुनियाभर के किस्से मिल जाते हैं. आज भी कुछ ऐसा ही हुआ. करीब छह माह बाद एक लंगोटिया दोस्त से मुलाकात हुई. वह फौज में है. कुछ देर के हालचाल बताने और पूछने के बाद अपने-अपने अनुभव के बारे में बातें होने लगीं. वह अपनी नौकरी के दौरान पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में गुजारे वक्त के बारे में बताने लगा. इस बीच उसने एक से बढ़कर एक किस्से सुनाये. कभी जंगल में रात के समय तैनाती के समय नक्सलियों की आहट पर रोंगटे खड़े हो जाने वाले किस्से तो कभी नदी के बीचोबीच मछली पकड़ कर चट्टान पर सींक घुसेड़ कर उसे पकाने की बातें. इस बीच जंगली हाथी के दौड़ाने और रातभर हिरण व अन्य जानवरों की चमकती आंखों के बीच मात्र टॉर्च की रोशनी में अपनी ड्यूटी पूरी करने की कथा. हर कहानी को सुनने के दौरान हम सभी दोस्त मुंह खोलकर देखते और सुनते रहते. उसके अनुभवों में एक किस्सा ऐसा भी था जिसमें वह जिस पेड़ पर बैठा सुस्ता रहा था उसी पेड़ पर मात्र दो-ढाई मीटर की दूरी पर एक सांप डालियों पर लटका अटखेलियां कर रहा था. जैसे ही उसकी नजर उस सांप पर पड़ी वह कूद-फांदकर वहां से भागा. फिर भी तमाम दिक्कतों के बीच उसने बताया कि सेना के जवान अपनी नौकरी पूरी तन्मयता से निभाते हैं. इस दौरान हम सभी दोस्त एक दूसरी ही दुनिया में गुलाटी मारने लगे थे. खासकर, सचिन वर्मा को इन बातों में बड़ी मौज आ रही थी. वह हर किस्सागोई के बीच में कोई न कोई द्विअर्थी चुटकुला तलाश लेता था. मगर किस्सों के अंत में मेरे फौजी दोस्त ने बड़े दुख से बताया कि नीरज सबसे ज्यादा बुरा कश्मीर की सुंदर वादियों में अपने ही देश के नौजवानों के हाथों पत्थकर खाने का दुख होता है. बुरा तब लगता है जब वहां का पांच साल का बच्चा भी जोर से चींखता और तुतलाता हुआ कहता है कि ‘लेकर रहेंगे आजादी’. उसने कहा, ‘इतना गुस्सा तो नक्सलियों को देखकर भी नहीं लगता. मोदी सरकार से हम जवानों को एक ही उम्मीद थी कि वह हमें प्रतिरक्षा करने की छूट देगी. मगर ये सरकार भी यही कर रही है जो बीती सरकारें करती आई हैं. चुपचाप होकर जवानों की मौत का तमाशा देख रही हैं.’ इसके बाद मैं खामोश था. दोस्त भी चुप था. महफिल खत्म हो गयी, इस बात के बाद की मोदी सरकार ही घाटी से धारा 370 को हटवाने का दम रखती है. उसके बाद ही जम्मू-कश्मीर में सब ठीक हो सकेगा. जी हां, धारा 370 को खत्म करने की ही मोदी सरकार से आखिरी आस है. 

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