निशाने पर न आ जाएं योगी?

नीरज तिवारी 
उत्‍तर प्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ जिस तरह की कार्यशैली के तहत हर दिन एक नया इतिहास रच रहे हैं, उससे ऐसा नजर आता है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्‍प बनकर उभरे हैं. बीते कुछ समय से ऐसा ही देखा जा रहा है. अपनी छवि के दम पर मुख्‍यमंत्री बनने वाले योगी के लिये यह एक कठिन परीक्षा है जिसमें वे खुद को सफल साबित करते जा रहे हैं. हालांकि, इस बीच यह भी कहा जाने लगा है कि योगी की इस रफ्तार से वे पार्टी के ही शीर्ष नेताओं की नजर में भी चढ़ जायेंगे, जिससे उन्‍हें नुकसान हो सकता है.
मुख्‍यमंत्री बनने के बाद योगी ने कई बड़े फैसले लिये. ऐसा पहली ही बार हुआ होगा जब कैबिनेट की बैठक से पहले ही बड़े-बड़े फैसले मुख्‍यमंत्री ने ले लिये. यह अलग की बात है कि किसानों की कर्जमाफी का फैसला अब भी विचाराधीन है. फिर भी जितनी तेजी से योगी ने अपने फैसले किये वह सभी को चौंकाने वाला रहा है.
कुछ रोज पहले जब उन्‍होंने राजधानी के पांच कालीदास मार्ग स्‍थित सरकारी आवास में गृह प्रवेश किया तो जिस तरह से उन्‍होंने घर के 9 एयर कंडीशंड बाहर करवा दिये और एक कमरे में साधारण तरीके से रहने का फैसला किया है. वह काबिल-ए-तारीफ रहा. इसकी चारों ओर चर्चा भी रही. साथ ही, इस फैसले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीवनशैली की भी तुलना की जाने लगी. इस बारे में बात करते हुये एक अधिकारी ने कहा कि सादगी से जीने का फैसला करते हुये योगी ने सभी विरोधियों को यह दर्शा दिया है कि वे भले ही मुख्‍यमंत्री के चयन के समय सभी के निशाने पर रहे हों अपने अनुभवहीनता के लिये मगर वे अपने फैसलों के कारण चर्चा के केंद्र में रहेंगे. उन्‍हें जनता में अपनी छाप छोड़ने का हुनर मालुम है.
वहीं, विदेशी मीडिया में छपी खबरों को देखा जाये तो पता चलता है कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब यूपी के मुख्‍यमंत्री ने अपनी कार्यशैली की वजह से सुर्खियां बटोरी हैं. इस बाबत भाजपा के एक वरिष्‍ठ नेता का कहना है कि योगी से जिस तरह की उम्‍मीद थी वह ऐसा ही कर रहे हैं. हालांकि, उन्‍होंने अपनी छवि के विरूद्ध जाकर जिस तरह से साम्‍प्रदायिक भाषणों से दूरी बनायी है वह उनकी गंभीरता को दर्शाता है. हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि कहीं योगी की ये उपलब्‍धियां मोदी की छवि पर भारी न पड़ जाएं तो उन्‍होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता. भाजपा में मोदी ही इस समय सबसे बड़े ब्रांड हैं. ऐसे में योगी सिर्फ अपनी अलग छवि बना रहे हैं. इन दोनों के निरंतर काम करते रहने के गुण के अलावा बहुत सी बातें एक-दूसरे से जुदा हैं. वे अपनी बात समाप्‍त करते हुये कहते हैं कि इसीलिये इस बात को लेकर अभी से ही चर्चा करना कि योगी मोदी की छवि पर भारी पड़ जाएंगे कुछ जल्‍दीबाजी है.
इससे इतर देश की सबसे बड़ी विधानसभा के मुख्‍यमंत्री योगी की सफलता का ही परिणाम है कि भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्‍हें मोदी व भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह के साथ ही प्रमुख प्रचारक नामित किया है.
वहीं, योगी की ओर से लिये गये अवैध बूचड़खानों के बंदी के फैसले ने उन्‍हें देशभर में सुर्खियों में ला खड़ा किया है. इसीलिये उनका यह फैसला राजस्‍थान में भी असर दिखाने लगा है. वहां की सरकार पर इसका दबाव बढ़ गया है कि वहां भी यूपी की तर्ज पर ऐसे फैसले लिये जाएं. इस बीच झारखंड में तो अवैध बूचड़खाने को बंद करने का 31 मार्च तक समयसीमा भी तय कर दिया गया है. वहीं, बिहार में भी भाजपा विधायकों और कार्यकर्ताओं ने नीतीश सरकार से बूचड़खानों में हो रहे पशुओं की हत्‍याओं पर तुरंत फैसला लेने का दबाव बढ़ा दिया है. यानी योगी ने इस एक फैसले से पूरे देश में अपनी छवि का ब्रांड चमका लिया है. हालांकि, इस फैसले के बाद से यूपी में जिस तरह से एक खास वर्ग समुदाय में बेरोजगारी का भय बढ़ा है, उसका विकल्‍प भी योगी को तलाशना होगा.
हालांकि, लंबे समय से यूपी की राजनीति को करीने से देखने वाले पत्रकारों का भी यही कहना है कि योगी जितनी तेजी से काम कर रहे हैं, उससे एक समय के बाद वह संभवत: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित उनके समकक्ष अन्‍य भाजपा नेताओं को खटकने लगेंगे. ऐसे में योगी को अपनी रफ्तार कुछ कम करनी चाहिये. अन्‍यथा वे आलोचनाओं के शिकार भी हो सकते हैं.
इससे इतर योगी सरकार को लेकर प्रदेश की विरोधी राजनीतिक दलों में भी अभी चुप्‍पी छायी हुयी है. कोई भी पार्टी अभी योगी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रही है. हालांकि, समय-समय पर बसपा प्रमुख मायावती अपना वार करने से नहीं चूक रही हैं. यानी योगी के विरोध में अभी लामबंदी शुरू नहीं हुयी है. इतने समीकरणों को देखते हुये यह कहना लाजिमि है कि योगी जिस रफ्तार से ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं उससे वे स्‍वयं को राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ समेत जनता की नजर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्‍प के रूप में स्‍थापित करते जा रहे हैं. यानी संभव है कि आगामी चुनावों में योगी के कंधे पर भावी जिम्‍मेदारियां सौंपी जा सकती है. हालांकि, इस बीच अयोध्‍या राम मंदिर के निर्माण को लेकर उनकी ओर से कैसा कदम उठाया जायेगा, यह सभी के लिये इंतजार का सबब बना हुआ है.

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