फोटो गूगल से 'उधार' |
प्रकृति का करते हाे नाश
लाश की बस आती है बास
ये कैसा जेहाद हुआ?
हर तरफ है शोर-ही-शोर
आतंक से बचा नहीं कोई कोर
मानव धर्म का नहीं है जोर
ये कैसा जेहाद हुआ?
ये कैसी-किसकी माया है
मौत का फैसा साया है
ये 'धर्म' कहां से आया है
ये कैसा जेहाद हुआ?
अब न करो माहौल गर्म
करनी पर लाओ थोड़ी शर्म
ऐसा नहीं कहता कोई धर्म
ये कैसा जेहाद हुआ?
हर धर्म के लोग रोते हैं
बच्चे सहमकर जीते हैं
डर के माहौल में रहते हैं
ये कैसा जेहाद हुआ?
अब तो रोको अपने बढ़े कदम
धरती को तुम करो न नम
हाथ तेरा थामेंगे हम
ये कैसा जेहाद हुआ?
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