देखा तुमने......मुझे जीना आता है

मन में मलाल था, इसलिए बदला लिया. मन में एकतरफा इकरार था, इसलिए बदला लिया. उसकी खुशियों को खत्म करने का सवाल था, इसलिए बदला लिया. आप भी सोच रहे होंगे कि मैं किस बदले की बात कर रहा हूं. किसके प्रति मुझमें इतनी नफरत थी जो मैं जहर उगल रहा हूं, तो पाठकों आपको बता दूं कि ये मेरे मन के नहीं उन हैवानों के मन की बात है जो किसी लड़की पर सिर्फ इसलिए तेजाब फेंक देते हैं, क्योंकि उन्होंने उसे नकार दिया था. मगर इसे कुदरत का खेल ही कहेंगे कि ऐसी कई बहादुर बालाएं हैं, जिन्होंने हार न मानते हुए अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दी है. उन्होंने एसिड अटैक की उस जलन को जीतते हुए ऐसे निकृष्ट मानसिकता के हमलावरों
                                                                                    को मुंहतोड़ जवाब दिया है.

मिल गया लक्ष्य
ऐसी पीड़ा को हराने में सफल रहने वाली इन बालाओं को मेरा सलाम है. उन्होंने इस क्रूर कृत्य के दंश को सहने के बाद ऐसी अन्य पीडि़तों को मदद पहुंचाने की ठान ली है. वे स्टॉप एसिड अटैक नाम की ऐसी ही मुहिम को चलाते हुए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. वे ऐसी मानसिकता के लोगों को यह बता रहे हैं कि क्या हुआ जो तुमने मुझसे मेरा खूबसूरत जीवन ले लिया? भले ही तुम्हारी वजह से अब मैं एक साधारण सी खुशहाल जिंदगी नहीं जी सकती. मगर मुझमें वह माद्दा है कि मैं अपने पैरों पर खड़ी होकर दिखाऊंगी. तुमने तो मुझे एक बार हमला करके जलन की पीड़ा दी है. मगर मैं तुम्हें अपराधी होने की हीन भावना के साथ अपनी कामयाब जिंदगी दिखाऊंगी. तुम्हें हर पल तेजाब की जलन महसूस कराऊंगी. मैं तुम पर हर पल मुस्कुराऊंगी. तुम्हारे सामने सफलता की ऐसी इमारत बनाऊंगी जिसके आगे तुम्हारे अस्तित्व के लिए कोई स्थान नहीं होगा. तुम हर रोज अपनी ही नजरों में गिरते जाओगे और मैं खिलखिलाऊंगी.
तेजाब से किए गए हमले में जान बचने के बाद जब वह (अनाम) दोबारा खुद को जीना सिखा रही थी, तब शायद वह यही सोच रही होगी. और....उसने ऐसा कर भी दिया.

 अंत में एक बार फिर स्टॉप एसिड अटैक को मेरा सलाम......

Comments

Gulshan Dwivedi said…
keep writing neeraj good job
Neeraj Express said…
धन्‍यवाद गुलशन भाई।।।।।