छोटे बिल्डर्स ने जीता विश्वास

अपना घर. स्वर्ग से सुंदर माहौल. अपनत्व का एहसास. जीवन में बहुत कुछ पाने का एहसास कराता है. तभी तो किसी ज्ञानी ने कहा है, 'धरती कहती छूकर देखिए, फिर मेरा कमाल देखिए.Ó जी हां, अपना आशियाना बनाने और उसे पाने की ख्वाहिश सभी की होती है. यही एक कारोबार ऐसा है, जो सालभर बिना किसी रुकावट के चलता रहता है. मगर समय के हिसाब से उपरोक्त कही गई क
हावत में आज काफी फेरबदल की आवश्यकता है. मसलन, पहले इस कहावत का मतलब होता था कि इंसान जमीन खरीदे, फिर उस पर घर का निर्माण कराए. गृह प्रवेश के साथ ही उसे मकान मालिक का ओहदा नसीब हो जाता था. यह एक बहुत बड़ी कामयाबी मानी जाती थी. मगर आज जब रियल इस्टेट सेक्टर इतना बूम कर रहा है तो बहुत सी नकारात्मक बातों ने भी जन्म ले लिया है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है, जमीन, मकान या फ्लैट खरीदने में बरती जाने वाली सावधानी. ऐसे में सिटी में बड़े बिल्डर्स के प्रति लोगों की दीवानगी कम होती जा रही है. ऐसा क्यों, आइये जानते हैं...

नामी बिल्डर्स का त्यागें भ्रम
जी हां, आपको कुछ अजीब लगेगा. मगर यह बात सत्य है. आज के दौर में चंद नामी बिल्डर्स को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी अपने कमिटमेंट में काफी पीछे हो गए हैं. ज्यादातर बिल्डर्स अपने कस्टमर्स से आंख-मिचौली खेल रहे हैं. समय पर पजेशन न देना. कस्टमर्स जब अपना हक जताते हैं तो बिल्डर्स उन्हें तमाम तरह की परेशानियों से वास्ता करा देते हैं. बिल्डर्स के झूठे वादों ने कइयों को शिकार बनाया है. सिटी में ही ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी सम्पत्ति का पूरा पेमेंट करने के बाद भी पजेशन पाने के लिए धक्के खा रहे हैं. कई मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. इन हालातों पर गौर किया जाए तो यह कहना लाजिमी है कि चुनिंदा नामी बिल्डर्स को छोड़कर बाकियों पर भरोसा करना ठीक नहीं है.

छोटे बिल्डर्स पर जताएं भरोसा
अपनी पहचान बनाने की जंग में छोटे बिल्डर्स आज सच्चे साबित हो रहे हैं. वे कस्टमर्स के बीच अपनी शाख को बनाने के लिए अपने छोटे प्रोजेक्ट्स को समय पर ही पूरा कर देते हैं. ऐसे बिल्डर्स के कस्टमर्स भी उनसे काफी खुश पाए जाते हैं. हो भी क्यों न, वे पजेशन आसानी से देते हैं. पेमेंट लेने के मामले में बड़े बिल्डर्स से मुकाबले ज्यादा रिलायबल होते हैं. सिटी में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जब बड़े बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स के मुकाबले छोटे बिल्डर्स ने अपना वादा समय रहते पूरा किया है.

आसान होती है पहुंच
बड़े बिल्डर्स के साथ एक और समस्या होती है. उनके पास कस्टमर्स को पहुंचने ही नहीं दिया जाता है. कई बार कस्टमर शिकायत करता रहता है लेकिन उनके कर्मचारी अपने मालिकों तक सच्चाई नहीं जाने देते. ऐसे में बड़े बिल्डर्स की शाख पर बट्टा तो लगेगा ही. वहीं, छोटे बिल्डर्स के बारे में देखा गया है कि वे कस्टमर के हमेशा टच में रहते हैं. वे कस्टमर्स की जरूरत को समझते हुए उनकी सारी जरूरतें पूरी करते हैं. वे कस्टमर्स को संतुष्ट करने के मामले में बड़े बिल्डर्स पर भारी पड़ते हैं. उनकी हर शिकायत या समस्या पर फौरन कार्रवाई करते हैं.

मजबूत होता है निर्माण
किसी भी घर की खासियत होती है उसका निर्माण कार्य. निर्माण कार्य जितना मजबूत होगा आशियाना उतना ही मजबूत होगा. बड़े बिल्डर्स के प्रोजेक्ट में कई बार पाया गया है कि कुछ सालों के बाद कुछ न कुछ दिक्कत नजर आने लगती है मगर छोटे बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स में ऐसी चूक नहीं पाई जाती है. चूंकि, उन्हें अपने नवीनतम काम के आधार पर ही बाजार में शाख बनानी होती है. यही कारण है कि वे अपने काम के प्रति पूरी सावधानी बरततें हैं. वे ऐसी कोई भी चूक नहीं करते, जिससे उनका आगामी प्रोजेक्ट प्रभावित हो. साथ ही, कस्टमर्स की आसान पहुंच होने से उनकी मजबूरी होती है कि वे अपने काम में पूरी ईमानदारी बरतें. वहीं, बड़े बिल्डर्स के खातों में ऐरी कमियों की भरमार दर्ज रहती है.
जैसा वादा, वैसा पजेशन
कई बार देखा गया है कि बड़े बिल्डर्स जब कस्टमर्स से डील करते हैं तब जिस फ्लैट को बुक करते हैं उसे वे कुछ माह के बाद बदल देते हैं. मसलन, किसी ने यदि आठवें फ्लोर का फ्लैट बुक किया है तो वे कुछ माह के बाद लेटर भेजकर सूचित करते हैं कि अमुक फ्लैट किसी कारणवश आपको नहीं दिया जा सकता है. आप उससे हटकर किसी और फ्लोर का फ्लैट ले लीजिए. भोलाभाला कस्टमर अक्सर बड़े बिल्डर्स की चिकनी बातों में फंस जाते हैं और बिना किसी पचड़े में फंसे हुए दूसरे फ्लैट पर पजेशन लेने को तैयार हो जाते हैं. वहीं, छोटे बिल्डर्स ऐसी गलतियां नहीं करते. वे अपने सीमित संसाधनों का ख्याल रखते हुए अनर्गल वादे नहीं करते. सिटी में ऐसे बहुत ही कम मामले पाए गए हैं जब किसी छोटे बिल्डर ने अपने कस्टमर के सामने ऐसा मामला रखा हो.

किश्तें कम, काम ज्यादा
बड़े बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स बाजार में काफी हाई-फाई दामों में बिकते हैं. कारण भी साफ है. उन्हें अपने प्रोजेक्ट्स को लेकर इतना विज्ञापन करना पड़ता है कि वे चाहकर भी अपने प्रोजेक्ट्स का दाम कम नहीं कर पाते. कंपनी विज्ञापनों में जितना भी खर्चा करती है, वह सब कस्टमर्स से ही वसूला जाता है. ऐसे में महंगे दामों पर घर खरीदना और लंबे समय तक पजेशन का इंतजार करना आम आदमी पर काफी भारी पड़ता है.

खत्म नहीं होता इंतजार
आम आदमी बेहतरीन लाइफस्टाइल पाने का दीवाना होता है. यही कारण है कि बड़े बिल्डर्स की मनमानी को भी वे आसानी से एक्सेप्ट कर लेते हैं. ऊंची कीमतों पर मिलने वाले फ्लैट्स को लेने के लिए वे महंगी ईएमआई भरते हैं. वे हवा में बन रहे प्रोजेक्ट्स पर लंबे समय तक बैंक का कर्ज चुकाते रहते हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत के शिकार वे लोग होते हैं जो किराये के कमरों या घरों में रहकर फ्लैट बुक कराते हैं. फिर पजेशन न मिलने तक बैंक से लिया गया होम लोन और घर का किराया दोनों चुकाते हैं. पजेशन मिलने में देरी होती जाती है और वे इस दोहरी मांग को भरते हुए आधे होते जाते हैं. उन्हें एक अच्छी लाइफस्टाइल को पाने की चाह की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. ऐसे में यदि प्रोजेक्ट किसी कानूनी विवाद में फंस जाता है तो वे सिवाय हाथ मलने के कुछ नहीं कर पाते हैं. उनके नसीब में रह जाता है तो सिर्फ इंतजार करना और कर्ज भरते रहना.

बदल रहा बाजार
उपरोक्त कारण तो बड़े और छोटे बिल्डर्स की हकीकत को बयां करने वाले बानगी ही हैं. समस्याएं तो कहीं ज्यादा हैं. यही कारण है कि पिछले करीब सात-आठ सालों से देखा जा रहा है कि लोग बड़े बिल्डर्स से दूरियां बना रहे हैं. बाजार में छोटे बिल्डर्स की पकड़ मजबूत होती जा रही है. वे तेजी से अपने प्रोजेक्ट पर प्रोजेक्ट पूरे करते जा रहे हैं. सिटी में ही ऐसे कई छोटे बिल्डर्स हैं जो कस्टमर्स की पहली पसंद बन गए हैं. उनका नया प्रोजेक्ट आते ही बाजार में धूम मचाने लगता है. वे बड़ी ही असानी से सफलता के झंडे गाड़ते जा रहे हैं.

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