अपनी खासियत पहचानो दोस्‍त


इस धरती पर जन्‍में हर शख्‍स में कुछ खास होता है। कई उसे समय रहते ही समझ जाते हैं और कई पूरी जिंदगी खुद की खासियत की तलाश में ही जीवन बिता देते हैं। कभी कुछ करते हैं और कभी कुछ। ले-देकर उम्र बढती जाती है और वे यही नहीं समझ पाते हैं कि वो धरती पर आए क्‍यों हैं। मगर मेरा मानना है कि हर किसी में कुछ खास होता है। पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं। इसलिए दोस्‍तों समय रहते ही अपनी खासियत को पहचान लो। परंपराओं से हटकर सोचो और कुछ कर दिखाओ। यकीन मानो तुम में कुछ खास है।

इसका सबसे अच्‍छा उदाहरण आपको अपने बिते दिनों में या आस-पास के परिवेश में मिल जाएगा। बस समय है कुछ हटकर सोचने का। हल्‍का सा नजरिया बदलने का। अपनी खूबी को पहचानने का। वही इंसान बडा होकर एक इंजीनियर बन सकता है जिसे बचपन में टीवी देखने से ज्‍यादा मजा अपने स्‍कूटर को खोलने में आता है। एक लेखक वही बन सकता है जो बचपन में ही अखबारों में छपे लेख पर नजर गडाए घंटों बिता दे। किसी और को देखकर उसका प्रोफेशन अपनाने से कोई कामयाब नहीं हो सकता। वो सिफ टाइम पास कर सकता है मगर कुछ बडा नहीं कर सकता। एक इंटरप्रीन्‍योर कभी नौकरी नहीं कर सकता। एक फोटोग्राफर कभी भी अच्‍छा जर्नलिस्‍ट नहीं बन सकता और एक जर्नलिस्‍ट कभी भी फोटोग्राफी की बारिकियों को नहीं जान सकता। हालांकि, जहां चाह वहां राह की तर्ज को मानने वाले कुछ भी कर सकते है। फिर भी अपने अंदर की खूबी को पहचानना सीखो। करो वही जिसके लिए भगवान ने तुम्‍हें भेजा है। किसी भी फैसले को किस्‍मत मत कहो करो वही जो दिल में आए।।। क्‍योंकि, य‍कीन मानो तुम में कुछ खास है।।।। एक ऐसी खासियत जो और किसी में नहीं है।

हां, खास बात यदि आपने अपना ज्‍यादातर समय खुद की खासियत की तलाश में ही काट दिया है तो हरिवंश राय बच्‍चन जी की ऐतिहासिक पुस्‍तक 'मधुशाला' में लिखी लाइन 'राह पकड तू एक चलाचल पा जाएगा मधुशाला' को अपना जीवन सूत्र बना लीजिए।।।।।

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