मुझको वह बचपन दे दो

सम्‍मुख तम की लाली
मार्ग मेरा खाली
मेरी मृत्‍यु होने वाली है
मुझको वह बचपन दे दो।
मनचाहा तर्पण दे दो
आत्‍म दिखे दर्पण दे दो
बाल्‍यकाल अर्पण कर दो
मुझको वह बचपन दे दो।
न मुझको तुम आयु दो
शक्ति न स्‍नायु दो
मनचाही बस वायु दो
मुझको वह बचपन दे दो।
हे राम! कहूं किलकारी से
लडखडाती वाणी से
पर मृत्‍यु दो मुझे बारी से
मुझको वह बचपन दे दो।
दो मां के आंचल की छांव
प्रथम पर मुख दूजे पर पांव
पिता की गोद जो लागे नांव
मुझको वह बचपन दे दो।
मन मेरा तब शुद्व था
क्षोभ, लोभ न क्रुद्व था
निर्बल-दुर्बल पर बुद्व था
मुझको वह बचपन दे दो।

Comments

Kailash Sharma said…
दो मां के आंचल की छांव
प्रथम पर मुख दूजे पर पांव
पिता की गोद जो लागे नांव
मुझको वह बचपन दे दो।

बचपन की फिर याद दिला दी..बहुत भावुक प्रस्तुति. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं..