चारों तरफ चर्चा है कि रुडकी इंजीनियरिंग कॉलेज में बडा गडबड हुआ है। लडकों ने लडकियों के होठों को अनोखे तरह से रंग जो दिया है। भइया, कोई ज्ञानी जरा इतना बताए इसमें हर्ज क्या है? चर्चा करने का अधिकार मीडिया के माध्यम से समाज के ठेकेदारों को कबसे मिल गया। इस रोमांटिक विषय पर चर्चा का अधिकार सिर्फ उन छात्र-छात्राओं के घरवालों को है। यदि उन्हें दिक्कत है तो दिक्कत जताने दो नहीं तो शांत हो जाओ ठेकेदारों, जवानी को जीने दो। न जाने क्या हंगामा सा बरपा रखा है थोडी सी जो रंग ली है।
हद है यार, किसी को अपने मन की आजादी ही नहीं देते। यदि कोई अपना होंठ अपने किसी प्रिय के होठों में दबी लिपिस्टिक से लाल करवा रहा है तो तुम्हें काहे की दिक्कत मजा करने दो उन्हें। अरे दिन-रात मेहनत करके उक्त कालेज में दाखिला पाने की मेहनत उन्होंने की है। अब जीवन जीने का तरीका दुनिया सिखाएगी। सच बताओ, समाज के ठेकेदारों उस तस्वीर को देखते ही पर्सनल फोल्डर में सेव किया की नहीं। किया न, अब जबान पर ताला लग गया। जवाब दो। खैर, अब ये बताओ कि उन्होंने गलती क्या की। जरा-जरा सी बात पर लोगों को परेशान करना। उनके उडते मन को पिंजडे में बांधना। ये सब करने से मिलता क्या है? कभी तुमने किसी लडकी को गलत निगाह से नहीं देखा। देखा होगा। नहीं देखा तो मामला संगीन कहूंगा। मेरे ठेकेदार भाइयों दुनिया को बदलने दो। मन की शांति जिसमें मिले लोगों को वही करने दो। न जाने क्या हंगामा सा बरपा रखा है, जो थोडी सी रंग ली है। जिसको बुरा लगे वो कमेंट दे सकता है। कोई कमेंट नहीं हटाउंगा। सबको बोलने का अधिकार है मेरे राज में।
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