दुनिया में तरह-तरह के लोग हैं। किसी को कुछ भी समझ में ही नहीं आता। किसी को हद से ज्यादा समझदार होने की बीमारी होती है। शायद समझदारी और बेवकूफी का मिलन यही है। खैर, इन बातों से हटकर खबरों पर चर्चा करें तो बेहतर होगा। इन दिनों मैं तंग आ गया हूं, खेल से। बिन बातों के मेल से। हर रोज कभी क्रिकेट वनडे तो कभी टेस्ट मैच। अरे बीसीसीआई को हुआ क्या है, इतना खेलने की जरूरत क्या है। क्रिकेट प्रेमियों के लगाव की परीक्षा लेने पर तुला हुआ है। हर रोज एक नई सीरीज। हद है बीसीआई।
अरे भारतीय क्रिकेटरों को चूस लोगे क्या? पहले की तरह खेल क्यों नहीं कराते। सिर्फ जाडे के मौसम में। हाफ स्वेटर पहनकर खिलाडी जब मैदान में उतरते थे तो बच्चे से लेकर बूढों तक में दिलचस्पी की गर्मी जाग जाती थी। अब इतना खेल होने लगा है कि लोग सिर्फ सुर्खियों को पढना ही दिलचस्पी कहते हैं। जिसे देखो वो यही कहता है कि हद है यार, 'इतना मैच होता है कि मन फट सा गया है।'
ये तो हुई लोगों की बात। अब मेरी सुनिए........
क्रिकेट के खेल से बचपन में दिलचस्पी नहीं थी। बडा हुआ तो दोस्तों को क्रिकेट खेलते देखा और पापा से जिद करके बैट मंगवा लिया। फिर क्या था, होने लगी बल्ले की सीनाजोरी। रनों के लिए भागा-दौडी। मजा आता गया और हम रमते चले गए। इसी बीच कहीं से साहित्य ने घेर लिया। किताबों ने ऐसा घेरा कि बल्ला घर के कोने में और गेंद बेड के नीचे कहीं धूल में खो गए। किताबों की संख्या बढती गई और खेल से दिल हट गया। दोस्तों ने बुलाया तो ठेंगा दिया। कहा, जाओ यार नई नॉवेल लाए हैं। उसे पढकर आज ही खत्म करेंगे। मगर जब बात जीवन में कुछ करने की आई तो पत्रकारिता में आ गए। इस जगत में काफी उठा-पटक के बाद जो मिली वो थी अदद सी नौकरी। खूब मजा आया, अब शब्दों से खेलते चले गए। मगर शब्दों के इस खेल ने मुझे पहुंचा दिया स्पोर्ट्स की खबरों के बीच। अब समस्या सताने लगी कि बचपन में खेल से दिल क्यों नहीं लगाया। कम से कम कुछ जानकार तो होता। मगर अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत। खैर, हारना मेरा काम नहीं। इस शब्द को अपने शब्दकोश में मैंने रखा ही नहीं है। मैं सभी खेलों की जानकारी चाह रहा हूं। अब दिनरात खेल के बारे में पढ रहा हूं। इसीलिए कहा जाता है कि हर चीज से दिल लगाओ। जीवन को छोटा ही सही मगर खुलकर जी जाओ। इसीलिए खूब खेलो और पढो। वैसे, बीसीसीआई इतना मैच क्यों कराती है? क्रिकेट प्रेमियों को इतना क्यों सताती है?
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अच्छा आलेख।