वो मेरी है गीता सार
शीतल झरने की शीतल धार
संग रहे जो भव के पार
वो है मेरी प्राण प्रिये।
फूलों जैसी वो कोमल है
वायु जैसी वो चंचल है
बाल उसके मलमल हैं
वो है मेरी प्राण प्रिये।
सब उस पर न्यौछावर है
उसका मन सरोवर है
प्रकृति उसके जेवर हैं
वो है मेरी प्राण प्रिये।
कोयल जैसी जो गाती है
किरणों संग नहाती है
सपनों में मेरे आती है
वो है मेरी प्राण प्रिये।
वो मेरी शक्ति है
निश्छल उसकी भक्ति है
हर पल राह वो तकती है
वो है मेरी प्राण प्रिये।
नहीं उससा कोई तर्ज
उसकी इच्छापुर्ति मेरा फर्ज
कभी कम न होगा उसका कर्ज
वो है मेरी प्राण प्रिये।
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शीतल झरने की शीतल धार
संग रहे जो भव के पार
वो है मेरी प्राण प्रिये।
फूलों जैसी वो कोमल है
वायु जैसी वो चंचल है
बाल उसके मलमल हैं
वो है मेरी प्राण प्रिये।
सब उस पर न्यौछावर है
उसका मन सरोवर है
प्रकृति उसके जेवर हैं
वो है मेरी प्राण प्रिये।
कोयल जैसी जो गाती है
किरणों संग नहाती है
सपनों में मेरे आती है
वो है मेरी प्राण प्रिये।
वो मेरी शक्ति है
निश्छल उसकी भक्ति है
हर पल राह वो तकती है
वो है मेरी प्राण प्रिये।
नहीं उससा कोई तर्ज
उसकी इच्छापुर्ति मेरा फर्ज
कभी कम न होगा उसका कर्ज
वो है मेरी प्राण प्रिये।
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