मुझको मेरी पाती दो

जिनमें मेरे सपने थे
मेरे नहीं वे अपने थे
वादे जिनमें तपने थे
मुझको मेरी पाती दो।
अश्रुधारा संग लिखा हुआ
हृदय भाव से भरा हुआ
जीवन जिनसे मधुर हुआ
मुझको मेरी पाती दो।
जिनको छुपकर लिखा गया
दर्द जिनमें दिखा गया
क्‍यों उनको तू भूल गया
मुझको मेरी पाती दो।
जिनमें प्रेम की शिक्षा थी
हम दोनों की इच्‍छा थी
बस प्रेम दो की भिक्षा थी
मुझको मेरी पाती दो।
तू तो मुझको छोड गया
रिश्‍ते-वादे तोड गया
मुझसे रस्‍ता मोड गया
मुझको मेरी पाती दो।
उनपर मेरा है अधिकार
रग में शब्‍दों का संचार
जीवित मन में वे विचार
मुझको मेरी पाती दो।
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Comments

khubsurat kavita dost..................dil ko choo gye.