केंद्रीय खाद्य मंत्री शरद पवार को कुछ हो गया है। वे नेता होने के बावजूद झूठे आश्वासन नहीं दे रहे हैं। वे हर वह बात कर रहे हैं, जिससे कांग्रेस झक-झक में बनी रहे। ठीक है किसी को झूठे आश्वासन नहीं देना चाहिए। पाप लगता है। दरअसल, वे आजकल बेलाग-लपेट मुहफट अंदाज में मीडिया को ब्यान दे रहे हैं। पूछो आम तो बताते हैं इमली। कहते हैं हम कांग्रेस के साथ हैं मगर पत्रकारों के सामने केंद्र सरकार की खाल खिचवाने जैसे ब्यान दे रहे हैं। भला ही है भगवान् का की मुझे ऐसा कोई दोस्त नहीं मिला। अच्छा हाँ, शरद जी का नाम भले शरद हो मगर नाम से उलट वे अपनी जबान से ग्रीषम ऋतू की ही बारिश करते हैं। नाम के आगे पवार लगाते हैं। मगर देश के कई परिवार का महंगाई के आगे कमर तोड़ चुके हैं। मगर, प्रयास के नाम पर उल्टा जवाब देना बेहतरी से जानते हैं। तभी तो चीनी के दाम से दिल नहीं भरा तो दूध की कीमत बढाने की कवायद शुरू कर दी। देखते हैं कब तक कामयाब होते हैं एनसीपी के शरद। शरद जी मुंह से अच्छे बोल भी निकल सकेंगे जो मीठा खा लोगे।
शरद बाबू को लेकर एक बात याद आ गयी ......
मैं छोटा था। मेरा जूते का सोल अपना मुंह खोल बैठा। मम्मी मुझे प्यार बहूत करती थीं, या मैं नालायक बहूत था शायद इसीलिए मैं बिना एक रूपये लिए स्कूल नहीं जाता था। कंजूस भी बचपन से ही हूँ। उन रुपयों को कभी खर्चता नहीं था। इससे गाहे-बगाहे दोस्तों के बीच सिक्का खनका उन्हें जलाने का मौका मिल जाता था। खैर, मैंने तुरंत अपनी जेब में से सिक्के निकाले और मैं पहुँच गया मोची के पास, उसने तुरंत ही मेरे जूते का मुंह परदो कील मार दी। मैं खुश हो गया चलो जुगाड़ से जूता बन गया। मगर दो दिन के बाद वह मेरे पैरों को घाव देने लगा। कारन चाहे जो हो। मोची मुरख हो। कील खराब हो। कुछ भी। मगर दर्द तो मेरा ही पैर हो रहा था। पिताजी ने नये जूते खरीद कर दिए थे, इसलिए कह भी नहीं पा रहा था की मैंने रोड चलते पत्थर को ठोकर मार-मार के जूते की दशा और दिशा दोनों बदहाल कर दिया है। मैं दर्द झेलता रहा। दरअसल, ऐसा ही दर्द कांग्रेस का है। वह पवार के शब्दों का कील रूपी दंश झेलने को तैयार है। मगर, परित्याग करने को नहीं। खुदा जाने कांग्रेस कितना बड़ा पत्थर सीने पर रखकर शरद के ब्यान को मुखाग्नि देने को कैमरे और कलमों के सामने आती है। काश, माननीय मंत्री महोदय समझ सकते की उनकी इस तरह की बेबाक टिप्पणियों को आधार बनाकर लुटेरे सरीखे व्यापारी दाम बढ़ा देते हैं...
यकीन मानिए मुंह मीठा हो जाएगा, जो शरद जी चीनी खा लो... बात मानिए... खा लीजिये.... चलिए अच्छा दूध में मिलकर पी लीजिये।
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