प्रभात हो चली है on December 17, 2007 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps भवरों ने कमलों को त्यागाराका दूजे ध्रुव को भागाअँधेरे ने प्राण को त्यागाप्रभात हो चली है... आज के लिए बस इतना ही, पूरी कविता पढ़नी हो तो कभी फुरसत से बैठेंगेआपका अजीजनीरज Comments
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