झूठे-सच्चे हर किस्से यूं याद रहे
कड़ी धूप में नेक इरादे साथ रहे
बातें बचपन की तुम भूल न जाना
नए सफर पर डगर वही है याद रहे
कुछ ग़म की बातें मेरी सुन तो लो
मेरे अनुभव इसी बहाने तेरे पास रहे
तोहफे लेना-देना हम तो बिसरा बैठे
चिट्ठी की महक हमेशा यूं साथ रहे
क्या जानो बदली में तपन क्या है
बैठो थोड़ी देर तो यह भी बात कहें..
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