मैं अजनबी हूं

प्‍यार के दिल में मैं अजनबी हूं
पहचानो मुझे इश्‍क मैं वही हूं
तेरी हर खुशी का ख्‍याल है मुझे
पर तेरे लिए ही मैं कुछ नहीं हूं
यादों में अपनी ताक-झांककर
मैं वहीं हूं और कहीं नहीं हूं
जोर न दो जज्‍बात-ए-दिल पर
कभी तो तुम कहोगे, मैं सही हूं
बदलेंगे हालात मुझे यकीन है
कभी तो तुम कहोगे कि मैं वही हूं।

---------------------------------------
---------------------------------------
ब्‍लॉगर साथियों मुझे दिल्‍ली में अपनी गजलों की किताब छपवानी है। मगर इस बारे में मुझे ज्‍यादा जानकारी नहीं है। हो सके तो इस बारे में मुझे सलाह दें। मैं आपका आभारी रहूंगा।

Comments